मेरी मां तुम हम सबकी आंखों का तारा हो। जिसके बिना हर घर सुना हो। मेरी मां तुम हम सबकी आंखों का तारा हो। जिसके बिना हर घर सुना हो।
गुनाहो का मसीहा लोग मुझें कहतें हैं, कभी शायर तो कभी कवि तो कभी मतलबफरोख्त कहतें है। गुनाहो का मसीहा लोग मुझें कहतें हैं, कभी शायर तो कभी कवि तो कभी मतलबफरोख्त कह...
तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है! तुम खास हो मेरे लिए वैसे ही जैसे कड़ी धूप में छांव होता है!
सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ। सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ।
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी । यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी ।
I am deleting my poems. I am deleting my poems.